जैसे-जैसे मौसम करवट ले रहा है, दिन में हल्की गर्मी और सुबह-शाम की ठंडक का एहसास होने लगा है। मौसम का यह बदलाव इंसानों के साथ-साथ हमारे प्यारे पालतू जानवरों, विशेषकर कुत्तों और बिल्लियों के स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। इस दौरान उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) थोड़ी कमजोर हो जाती है, जिससे वे कई तरह के संक्रमण और बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं।
पिछले कुछ दिनों से मैं अपने क्लिनिक में ऐसे कई मामले देख रहा हूँ जहाँ पालतू जानवरों में पेट खराब होना, पतला दस्त (Diarrhoea), हल्का बुखार, भूख न लगना और सूखी खांसी जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। यह समय है कि हम थोड़ी अतिरिक्त सावधानी बरतें और अपने बेजुबान साथियों को स्वस्थ रखें।
बदलते मौसम में होने वाली आम समस्याएं और उनके लक्षण:
पेट की समस्याएं (Gastrointestinal Issues):
लक्षण: अचानक पतला दस्त लगना, उल्टी होना, पेट में गुड़गुड़ की आवाज आना, भूख में कमी।
कारण: तापमान में बदलाव से पाचन तंत्र प्रभावित होता है। साथ ही, इस मौसम में बैक्टीरिया और वायरस अधिक सक्रिय हो जाते हैं जो दूषित पानी या भोजन के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
सांस संबंधी समस्याएं (Respiratory Issues):
लक्षण: सूखी या बलगम वाली खांसी, छींकना, नाक बहना, सांस लेने में तकलीफ। कुत्तों में इसे "केनेल कफ" (Kennel Cough) का शुरुआती लक्षण भी माना जा सकता है।
कारण: ठंडी हवा और बदलते तापमान के कारण वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
बुखार और सुस्ती (Fever and Lethargy):
लक्षण: शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होना, जानवर का सुस्त और थका हुआ दिखना, खाने-पीने में अरुचि।
कारण: यह किसी भी प्रकार के आंतरिक संक्रमण का पहला संकेत हो सकता है।
त्वचा संबंधी समस्याएं (Skin Issues):
लक्षण: त्वचा में खुजली, रैशेज, बालों का झड़ना।
कारण: हवा में नमी के बदलाव से फंगल इन्फेक्शन और एलर्जी की समस्या बढ़ सकती है।
कैसे करें अपने पालतू की देखभाल: एक पशु चिकित्सक की सलाह
इस मौसम में थोड़ी सी सावधानी आपके पालतू को इन सभी समस्याओं से दूर रख सकती है:
संतुलित और सुपाच्य आहार:
उन्हें घर का बना, ताजा और हल्का भोजन दें। अगर पेट खराब है, तो कुछ समय के लिए पैकेट वाले खाने की जगह उबला हुआ चिकन, चावल और दही (अगर उसे सूट करता है) दे सकते हैं।
भोजन की मात्रा अचानक न बदलें।
साफ और ताजा पानी:
यह सबसे महत्वपूर्ण है। हमेशा साफ और ताजे पानी का प्रबंध करें। उन्हें बाहर कहीं जमा हुए या गंदे पानी को पीने से सख्ती से रोकें, क्योंकि यह संक्रमण का सबसे बड़ा स्रोत है।
सही रहन-सहन:
अपने पालतू को सीधे ठंडी हवा या फर्श पर सोने से बचाएं। उनके लिए एक गर्म और आरामदायक बिस्तर की व्यवस्था करें।
उन्हें गीले या नमी वाले स्थान पर न रहने दें।
नियमित व्यायाम:
व्यायाम उनकी इम्यूनिटी को मजबूत करता है। उन्हें नियमित रूप से घुमाने ले जाएं, लेकिन बहुत सुबह या देर रात की तेज ठंड से बचाएं।
टीकाकरण और डिवर्मिंग (Vaccination & Deworming):
सुनिश्चित करें कि आपके पालतू का टीकाकरण और पेट के कीड़े मारने (डिवर्मिंग) की दवा का कोर्स पूरा है। यह उन्हें कई गंभीर बीमारियों से बचाता है।
परजीवियों से बचाव:
इस मौसम में पिस्सू और टिक (Fleas and Ticks) का खतरा भी बना रहता है। पशु चिकित्सक की सलाह से नियमित रूप से टिक और फ्ली से बचाव की दवा का प्रयोग करें।
पशु चिकित्सक से कब संपर्क करें?
घरेलू देखभाल के बावजूद अगर आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें तो तुरंत अपने पशु चिकित्सक से संपर्क करें:
दस्त या उल्टी 24 घंटे से ज्यादा समय तक जारी रहे।
मल या उल्टी में खून आना।
तेज बुखार (103°F से ऊपर)।
पालतू ने 24 घंटे से कुछ भी न खाया हो।
सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही हो।
वह बहुत ज्यादा सुस्त या बेहोशी की हालत में हो।